तेरी उल्फत याद करके दिल ये मेरा रो दिया ,
कह पड़े ये लब सहमके तुमने मुझको खो दिया ,
मुद्दतों से हमने जिस रिश्ते को अपना था कहा,
दो-चार लफ्ज़ बोलके तुमने उसे झुठला दिया,
अरसों से तुम्हारी खुशियों पे होते रहे हम फंना,
मिन्नतों को हमारी तुमने ही कर दिया अनसुना,
मन्नतों का तुम्हारे लिए किया था महल खड़ा,
आज उस महल में खुद को ही पाया हे तनहा,
लबों पे हमारे आज भी तेरे लिए बस हे दुआ,
रब की मर्जी ही सही जो कर दिया हमको जुदा,
तेरी उल्फत याद करके दिल ये मेरा रो दिया ,
कह पड़े ये लब सहमके तुमने मुझको खो दिया....................